कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रैली के लिए अनुमति नहीं मिली

राहुल गांधी द्वारा नेतृत्व किए जा रहे कांग्रेस पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल में कुछ समस्याओं का सामना किया है। रैली, जिसका उद्देश्य धर्म, जाति और क्षेत्रों के अथर्व से भारतीयों को एकजुट करना है, 26 जनवरी को पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया। हालांकि, राज्य प्रशासन ने कांग्रेस पार्टी की कुछ योजनाओं के लिए अनुमति नहीं दी या हस्तक्षेप किया है, जो मुकाबले की स्थिति में हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) ने इसे इसे इसे तानाशाही समझकर आलोचना की है, कहते हुए कि शासन करने वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस को “अपमानित” करने के लिए रोडब्लॉक डाले हैं। भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मलविया ने कहा कि अनुमतियों की इनकार भर कर दिखाता है कि कांग्रेस और तृणमूल के बीच 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए संभावित समझौते की “आंखिरी छड़ी” है।

सिलीगुड़ी के लिए कांग्रेस को अनुमति नहीं, जनसभा के लिए इनकार

27 जनवरी को, पश्चिम बंगाल पुलिस ने 28 जनवरी को सिलीगुड़ी में निर्धारित राहुल गांधी की जनसभा के लिए अनुमति देने से इनकार किया। सिलीगुड़ी उत्तरी पश्चिम बंगाल के दारजीलिंग जिले में एक शहर है।

कांग्रेस राज्याध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी ने कहा कि पुलिस ने आगामी परीक्षाएं को कारण बताया। जनसभा की अनुमति न मिलने से स्वयं रैली पर भी असर पड़ सकता है।

पश्चिम बंगाल प्रवेश के दौरान पहले ही रुकावटें

जब 26 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा असम से पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर रही थी, तो पार्टी ने अंतिम क्षण में बाधा का सामना किया था।

कूच बिहार जिले के तुफानगंज में राहुल गांधी का स्वागत करने के लिए बनाई गई मूल स्टेज को तोड़ना पड़ा। पुलिस ने इसे किसी विकल्पिक निजी स्थल पर ले जाने की कड़ी मांग की।

अगले स्टॉप जलपाईगुड़ी के संरूप में भी पुलिस के निर्देशों के कारण अनुसूचित की आवश्यकता हो सकती है।

कांग्रेस नेतृत्व ने प्रशासन को उत्तराधिकारी की परेशानी का आरोप लगाया है

कांग्रेस नेतृत्व ने यह आरोप लगाया है कि राहुल गांधी की यात्रा पश्चिम बंगाल में प्रवेश करते ही राज्य प्रशासन ने अनावश्यक रुकावटें बनाई हैं।

राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी ने कहा कि पुलिस द्वारा अंतिम क्षण में अनुमति न मिलना राज्य सरकार से सहयोग की कमी को दिखाता है।

पश्चिम बंगाल सरकार को संचालित करने वाले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने चौधुरी को जिम्मेदार ठहराया है। टीएमसी नेता संतानु सेन ने चौधुरी को “बीजेपी के एजेंट” बताया है जो उनकी निर्देशों पर विवाद बना रहा है।

टीएमसी का बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ संघीय मुख

राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस और टीएमसी के बीच बढ़ते दरार का हिस्सा मान रहे हैं।

ममता बैनर्जी ने हाल ही में घोषणा की कि टीएमसी 2024 लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ेगी। इसका यह पहले है कि कांग्रेस और टीएमसी के बीच की सीट साझेदारी की बातचीत टूटी।

टीएमसी ने खुद को कांग्रेस के सामने मुख्य प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित किया है, कांग्रेस के आगे। इसने बिना कांग्रेस और बीजेपी के साथ “संघीय फ्रंट” की तलाश की है जिसमें शक्तिशाली क्षेत्रीय पार्टियाँ हों।

इस घोषणा के बाद ही कांग्रेस यात्रा के लिए पुलिस द्वारा अनुमतियों का इनकार यह राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

भाजपा की आशा है कि कांग्रेस-टीएमसी के बीच की दूरी से लाभ होगा

पश्चिम बंगाल में कदम रखने वाली भाजपा को यह महसूस हो रहा है कि कांग्रेस-टीएमसी की दूरी उनके लिए फायदेमंद है।

अमित मलविया ने कहा कि ममता ने यात्रा को इनकार करना कांग्रेस को अपमानित करने का इरादा है, लेकिन वे “स्टॉकहोम सिंड्रोम” से पीड़ित हैं और साझेदारी के लिए मना करते रहते हैं।

भाजपा यदि कांग्रेस अलग-अलग प्रतिस्पर्धा करती है, तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी के खिलाफ वोट खींचने का प्रयास कर सकती है। लेकिन टीएमसी को इस वोट को बरकरार रखने की भी आवश्यकता है ताकि वह भाजपा का सामना कर सके।

संक्षेप में, भारत जोड़ो यात्रा को पश्चिम बंगाल में प्रशासन से अनपेक्षित कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। इससे कांग्रेस-टीएमसी की तनावों की ओर इशारा है और 2024 चुनाव से पहले विपक्ष राजनीति की पुनर्निर्माण हो रही है। जबकि ये दोनों राज्य में भाजपा की वृद्धि को रोकने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी प्रतिस्पर्धा कांग्रेस वोट की विस्थापना के रूप में सिद्ध हो सकती है। आने वाले महीने दिखाएंगे कि विपक्ष की पुनर्निर्माण क्या हो सकती है ताकि एक प्रभावी चुनौती खड़ी की जा सके।

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